मंत्रों का इतिहास
और उनकी शक्ति
मंत्रों का इतिहास भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा से गहराई से जुड़ा है। वेदों, उपनिषदों और पुराणों में मंत्रों का उल्लेख मिलता है, जो हजारों वर्ष पुराने हैं। मंत्र संस्कृत शब्दों का वह संयोजन है, जो विशिष्ट ध्वनियों और कंपनों के माध्यम से मानव मन, शरीर और आत्मा को प्रभावित करता है। इनका उच्चारण न केवल आध्यात्मिक, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी शक्तिशाली माना जाता है। मंत्रों की शक्ति उनके शब्दों, लय और उच्चारण की शुद्धता में निहित है। यह माना जाता है कि सही ढंग से उच्चारित मंत्र ब्रह्मांड की सकारात्मक ऊर्जा को जागृत कर सकते हैं, जिससे मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। इसलिए देखा जाए तो मंत्रो का इतिहास करोड़ों साल पुराना हे और अलग अलग मंत्रो की शक्ति और ध्वनि से अलग अलग ऊर्जाओं का वहन होता हे यह तो अब विज्ञान भी मानने लगा हे।
मंत्र पढ़ने का उचित समय
मंत्रों का जाप करने का सबसे अच्छा समय ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) माना जाता है, क्योंकि इस समय वातावरण शांत और सात्विक होता है। यह समय ध्यान और आध्यात्मिक साधना के लिए आदर्श होता है। इसके अलावा, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय भी मंत्र जाप प्रभावी होता है। कुछ मंत्र, जैसे गायत्री मंत्र, दिन के तीनों समय (सुबह, दोपहर, शाम) जपे जा सकते हैं। हालांकि, मंत्र जाप का समय व्यक्ति की सुविधा और मंत्र के उद्देश्य पर भी निर्भर करता है।अलग अलग मंत्रो की और श्लोकों की अपनी एक समय सीमा होती हे। अगर आपको उस मंत्र या श्लोक का सही फल पाना हे तो उसको वैसे ही नहीं बोलना चाहिए या किसी भी जगह किसी भी रूप में आप यह मंत्र या श्लोक नहीं पढ़ सकते उसकी यह सीमा और मर्यादा जानकर ही मंत्र को आत्मसात कर पढ़ना चाहिए वरना उसकी असर कम या तो विपरीत भी हो सकती हे।
*मंत्र आत्मसात करने की*
*चीज, न कि दिखावे की*
आज कल हमारे यहां फैशन सा हो चला हे कोई भी मंत्र , श्लोक या उससे बना काव्य कभी भी और किसी भी समय , किसी भी तरह के पहनावे के साथ कर लेते हे और वह सिर्फ और सिर्फ एक या थोड़े बहुत लोगो के दिखावे या मीडिया में चमकने के लिए ही होता हे कभी कभी इसी जाप को शक्ति प्रदर्शन के लिए भी रखते हे लेकिन इनसे मंत्र का प्रभाव उसमें शामिल हुए लोगो पर कम पड़ती हे क्योंकि मंत्र जाप कोई दिखावटी क्रिया नहीं, बल्कि आत्मा से आत्मा का संनाद है। इसका प्रभाव तभी होता है, जब इसे पूर्ण श्रद्धा, एकाग्रता और शुद्ध मन से किया जाए। मंत्रों का जाप केवल शब्दों का उच्चारण नहीं, बल्कि उनके अर्थ और भाव को आत्मसात करना है। बिना श्रद्धा और समझ के जाप करने से वांछित फल प्राप्त नहीं होता। इसलिए, मंत्र जाप करते समय मन को शांत रखना, सही उच्चारण और मंत्र के उद्देश्य को समझना आवश्यक है।
*मंत्र को पढ़ने का समय*
*उसके गुण के हिसाब से*
विभिन्न मंत्रों के गुण और उद्देश्य अलग-अलग होते हैं, इसलिए उनका जाप करने का समय भी भिन्न हो सकता है। उदाहरण के लिए:
गायत्री मंत्र: आध्यात्मिक ज्ञान और शुद्धता के लिए, इसे सुबह और शाम के समय जपना उत्तम है।
महामृत्युंजय मंत्र: स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए, इसे किसी भी समय, विशेष रूप से सोमवार या प्रदोष काल में जप सकते हैं।
हनुमान चालीसा: साहस और सुरक्षा के लिए, इसे मंगलवार या शनिवार को पढ़ना शुभ माना जाता है।
दुर्गा मंत्र: शक्ति और सुरक्षा के लिए, नवरात्रि के दौरान या शुक्रवार को जाप करना प्रभावी होता है।
नवकार मंत्र : आत्म शांति और आत्म गुणों को प्रज्वलित करने के लिए जो आप कभी भी पढ़ सकते हो
आगम : - यह हैं जैनों के ग्रन्थ जिसको आप असजायकाल में यानी कि उसके दिए गए वर्णन में से कुछ भी हो तो उसको नहीं पढ़ना चाहिए मिशाल के तौर पे आप ग्रहण के दिन उनके आगे पीछे के काल तक उसे नहीं पढ़ सकते
इस प्रकार, मंत्र का समय उसके उद्देश्य और गुण के आधार पर निर्धारित करना चाहिए।
*मंत्रों की ताकत का परिचय करता एक किस्सा
प्राचीन काल में, एक साधारण किसान था, जिसका नाम रामू था। वह बहुत गरीब था और उसकी पत्नी गंभीर रूप से बीमार थी। गाँव के एक साधु ने उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने की सलाह दी। साधु ने कहा, “पूर्ण श्रद्धा और एकाग्रता के साथ 108 बार इस मंत्र का जाप रोज सुबह करो।” रामू, जिसे संस्कृत का कोई ज्ञान नहीं था, ने साधु के निर्देशों का पालन किया। वह हर सुबह एक शांत स्थान पर बैठकर मंत्र जाप करता। कुछ ही महीनों में उसकी पत्नी स्वस्थ हो गई, और गाँव में उसकी आर्थिक स्थिति भी सुधरने लगी। यह चमत्कार नहीं, बल्कि मंत्र की ध्वनि और उसकी श्रद्धा का परिणाम था, जिसने न केवल उसकी पत्नी को ठीक किया, बल्कि उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया। यह किस्सा मंत्रों की शक्ति और श्रद्धा के महत्व को दर्शाता है।
*मंत्रों की बड़ी ताकात है अंतर
आत्मा के भाव जगाने वाली
*सिर्फ दिल और दिमाग को नहीं पूरी दुनिया को राह दिखाने वाली*
मंत्र भारतीय संस्कृति का एक अनमोल हिस्सा हैं, जो न केवल
आध्यात्मिक उन्नति, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हैं। इनका जाप सही समय, शुद्ध उच्चारण और पूर्ण श्रद्धा के साथ करना चाहिए। मंत्र केवल शब्द नहीं, बल्कि ऊर्जा का स्रोत हैं, जो जीवन को सकारात्मक दिशा दे सकते हैं। चाहे वह स्वास्थ्य हो, समृद्धि हो या शांति, मंत्रों की शक्ति हर क्षेत्र में चमत्कार कर सकती है, बशर्ते इन्हें सही भाव और विधि से अपनाया जाए।और उसका दिखावा न बनने दे या ऐसे किसीभी आयोजनों का हिस्सा आप न बने तो वह मंत्र आपको मनवांछित फल देने की ताकत रखता हे। क्योंकि आत्मसात किया हुआ हर एक मंत्र असीमित शक्तियों का मालिक हे। अस्तु।
लेखक
प्रतिक संघवी- राजकोट गुजरात
आलेख प्रसिद्धी सहयोग
समता मिडिया सर्व्हिसेस
श्रीरामपूर (महाराष्ट्र)