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तम्बाकू और कैंसर (Cancer)

       तम्बाकू का सेवन गुटखा, पान मसाला, सुपारी मिश्रण, बीड़ी, सिगरेट, चिलम जैसे विभिन्न माध्यमों से किया जाता है। निकोटीन कैंसर पैदा करने वाला मुख्य रसायन है। इसके अलावा भी कई हानिकारक रसायन शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इससे 13 से अधिक कैंसर होते हैं। इनमें मुंह का कैंसर प्रमुख है। दुनिया में मुंह के कैंसर के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा भारत में है।

       अप्रत्यक्षधूम्रपान कई बीमारियों और कैंसर का कारण भी बनता है। एक सिगरेट में 7000 रसायन और 200 से अधिक जहरीले रसायन होते हैं। इनमें से 69 तत्व कैंसर का कारण बनते हैं। धूम्रपान हर साल 20 प्रतिशत कैंसर और 30 प्रतिशत मौतों का कारण बनता है। भारत में हर साल 13 से 14 लाख कैंसर तंबाकू के कारण होते हैं और 2025 तक यह संख्या 15.7 लाख तक पहुंचने का अनुमान है। 40 प्रतिशत कैंसर से बचाता हैआ रहे हैं। तम्बाकू के साथ यदि कोई अन्य लत हो तो यह बहुत घातक है। युवाओं में तम्बाकू की मात्रा बढ़ती जा रही है। 100,000 युवाओं में से 10 को तम्बाकू उत्पादों के कारण कैंसर होता है। धूम्रपान करने की उम्र जितनी कम होगी, इसके प्रभाव उतने ही अधिक हानिकारक होंगे। युवाओं में गुटखा का बढ़ता प्रचलन चिंता का विषय है। गुटखा के सेवन से मुंह, गले, ग्रासनली, अग्न्याशय का कैंसर होता है। तंबाकूआज मौज है, कल यातना है और फिर मौत है। दुनिया में हर साल तंबाकू के सेवन से 80 लाख लोगों की मौत हो जाती है और तंबाकू मौत का दूसरा प्रमुख कारण है। धूम्रपान के कारण हर साल कई मरीजों की मौत हो जाती है। भारत में हर साल 13 लाख मौतें और प्रतिदिन औसतन 3500 मौतें तम्बाकू के कारण होती हैं। इसका प्रभाव शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ता है 1. हृदय: रक्तचाप, एनजाइना, दिल का दौरा,कार्डियोमायोपैथी, बार-बार दिल का दौरा संभव है। 2. रक्त वाहिकाएँ: सिकुड़न, पतन, रुकावट, हाथ-पैर सड़ना, गैंग्रीन। 3. मुंह: दांतों पर प्लाक, कैविटी, सांसों की दुर्गंध, मसूड़ों की बीमारी और कैंसर। 4. मस्तिष्क : लाखवा, रक्त वाहिकाएं ढह जाती हैं 5. बाल : झड़ना, गंजापन 6. फेफड़े: अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ, बार-बार संक्रमण और कैंसर 7.पाचन तंत्र: ग्रासनली, गला, मुंह और जबड़े, मूत्राशय, गुर्दे, आंत, रक्त, अग्न्याशय का कैंसर। 8. प्रजनन अंग: शुक्राणुओं की कम संख्या, गर्भपात, जल्दी रजोनिवृत्ति, जोश और शक्ति की हानि। 9. आंखें: दृष्टि हानि, मोतियाबिंद 10. गर्भावस्था: छोटा और कमजोर बच्चा, कम दिनों में प्रसव, जन्मजात रोग, मृत बच्चा, शारीरिक और मानसिक विकलांगता, मानसिक मंदता, कटे होंठ,कटे तालु वाला बच्चा. कुल मिलाकर, धूम्रपान करने वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है। इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2024 के लिए एक नारा दिया है जिसका उद्देश्य है "बच्चों पर तम्बाकू फैक्ट्रियों के प्रभाव को कम करना। आकर्षक विज्ञापन युवाओं को सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, तम्बाकू की ओर आकर्षित करते हैं और अंततः कई बीमारियों का कारण बनते हैं।". युवाओं को तंबाकू के इस नुकसान से बचाना जरूरी है। इसी जन जागरूकता के लिए हर वर्ष 31 मई को तंबाकू विरोधी एवं कैंसर निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। तो आइए शपथ लें कि "मैं तम्बाकू नहीं खाऊंगा और दूसरों को भी धूम्रपान नहीं करने दूंगा"।

 डॉ.रविन्द्र कुटे
पूर्व अध्यक्ष: आईएमए (महाराष्ट्र राज्य) 
संग्रह -समता न्यूज़ नेटवर्क, श्रीरामपुर - 9561174111
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